Description
कवयित्री का ये मानना है कि हर इन्सान की भीतर की अपनी एक दुनिया होती है। कोई दिखाता है तो कोई छुपाता है। आज के जमाने में जहाँ भावनाओं को व्यक्त करना, अपना दुख दिखाना कमजोरी माना जाता है, वहीं कवयित्री मानती है कि एक परिपक्व इन्सान ही दिल का हाल दिखाने में हितकिचाता नहीं है। इसी लिए वह कविताओं के माध्यम से अपना दर्द वाचकों के साथ बाँटकर उन्हें ये महसूस कराना चाहती हैं कि गम को झूठलाकर वो कम नहीं होगा। उसे अपनाना पडेगा जरुर।




Manasvi by Sunil Jayant Kulkarni
Reviews
There are no reviews yet.