interview-HariNarayanJat

एक छोटी सी बातचीत – हरि नारायण जाट के साथ

1. इस इंटरव्यू का पहला सवालआपके लिये साहित्य की परिभाषा?

हरि नारायण जाट: साहित्य मेरे लिए भावनाओं, विचारों, और अनुभूतियों का  सजीव और प्रभावशाली प्रस्तुतीकरण है।

2. आपके जीवन में किन तीन लोगों ने आपको सबसे अधिक प्रभावित किया है?

हरि नारायण जाट: मेरे जीवन में सबसे अधिक प्रभाव मेरे माता-पिता का रहा है। उनके मार्गदर्शन और आदर्शों ने मुझे सिखाया कि जीवन में अनुशासन, ईमानदारी और परिश्रम कितना आवश्यक है। उनके अलावा  विवेकानंद जी और सरदार वल्लभ भाई पटेल जी का व्यक्तित्व हमेशा प्रेरित करता है।

3. पसंदीदा साहित्य विधा ?

हरि नारायण जाट: मुझे पद्म विधा अत्यंत प्रिय है। इसमें काव्यात्मक अभिव्यक्ति का सौंदर्य और गहराई होती है।

4. प्रकाशित रचनायें?

हरि नारायण जाट: मेरी प्रमुख प्रकाशित रचनाओं में “जीवन” और “खिलौना लगता हूं” शामिल हैं।

5. पाठक मन के फूलकहां से खरीद सकते हैं?

हरि नारायण जाट: मेरी पुस्तक “मन के फूल” अब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स परउपलब्ध है। पाठक इसे अमेज़न, फ्लिपकार्ट या स्थानीय बुक स्टोर्स से आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, पुस्तक को सीधे प्रकाशक की वेबसाइट से भी ऑर्डर किया जा सकता है।

6. क्या आपको लगता है कि कोई लेखक हो सकता है अगर वे भावनाओं को दृढ़ता से महसूस नहीं करते हैं?

हरि नारायण जाट: नहीं, बिल्कुल नहीं। भावनाएं लेखक की आत्मा होती हैं। अगर कोई व्यक्ति किसी घटना, परिस्थिति, या संवेदना को गहराई से अनुभव नहीं कर सकता, तो वह उस भावना को शब्दों में प्रभावी रूप से व्यक्त नहीं कर पाएगा। एक सच्चे लेखक के लिए यह जरूरी है कि वह अपने और दूसरों के अनुभवों को गहराई से महसूस कर सके। यही गहराई उसके लेखन को जीवंत बनाती है।

7. कोई सलाह जो आप आकांक्षी लेखकों को देना चाहते हैं?

हरि नारायण जाट: मेरी सलाह है कि लेखकों को सतत अध्ययन करते रहना चाहिए। अध्ययन से न केवल आपका ज्ञान बढ़ता है, बल्कि आपकी सोचने और लिखने की शैली में भी निखार आता है। इसके साथ ही, अपने मनोभावों को लिखने की आदत डालनी चाहिए।

8. पुस्तक के संबंध में पाठकों के लिए कोई संदेश?

हरि नारायण जाट: मेरी पुस्तक “मन के फूल” पाठकों को जीवन की वास्तविकताओं को समझने और हर परिस्थिति में आगे बढ़ने का संदेश देती है। यह पुस्तक केवल एक साहित्यिक कृति नहीं है, बल्कि इसे मैंने पाठकों के लिए प्रेरणा और आत्मविश्लेषण का माध्यम बनाने का प्रयास किया है। यह पुस्तक जीवन के उन अनछुए पहलुओं को सामने लाती है, जो हमें रोजमर्रा की भागदौड़ में अक्सर अनदेखा रह जाते हैं।

अपना समय देने के लिए धन्यवाद!

हरि नारायण जाट: मुझे इस साक्षात्कार में शामिल होने का अवसर देने के लिए आपका धन्यवाद। मुझे आशा है कि मेरे विचार और अनुभव पाठकों के लिए उपयोगी और प्रेरणादायक होंगे।

Leave a Reply

Shopping cart

0
image/svg+xml

No products in the cart.

Continue Shopping